मङ्गलाचरण
1.नमस्कारात्मकम्
नत्वा सरस्वतीं देवीं शुद्धां गुण्यां करोम्यहं |
पणिनीय प्रवेशाय लघुसिद्धान्तकौमुदीम् ||
2.वस्तुनिर्देशात्मकम्
क्रियाकलापप्रतिपत्तिहेतुं संक्षिप्तसारार्थविलासगर्भम् |
अनन्तदैवज्ञसुतः स रामो मुहूर्त्तचिन्तामणिमातनोति ||
3.आशिर्वादात्मकम्
स्वेच्छाकेसरिणः स्वच्छस्वच्छायायासितेन्दवः |
त्रायन्तां वो मधुरिपोः प्रपन्नार्तिच्छिदो नखाः ||
अपनी इच्छा से केशरी का रूप धारण किये हुए भगवान् मधुरिपु के, स्वच्छ अपनी छाया से इंदु को आयासित करने वाले तथा प्रपन्न जनों की आर्ति का छेदन करने वाले नख आप लोगों की रक्षा करें |
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