भयात भभोग
भयात
जन्म नक्षत्र के बीते हुए काल को भयात कहते है |
नियम =>
60 घटी में से गतनक्षत्र के मान को घटाकर , वियोगफल में इष्टकाल जोड़ने पर भयात प्राप्त होता है |
उदहारण =>
60:00 -> नियमानुसार
- 20:29 -> गतनक्षत्र
39:31 -> वियोगफल
+ 30:35 -> इष्टकाल
70:06 -> योगफल
70:06 -> योगफल
- 60:00 -> नियमानुसार
10:06 -> भयात
यदि आप कुंडली बनाना चाहते है तो इन्हें अवश्य देखे-
कुंडली बनाने के पहले जाने ज्योतिष की बेसिक जानकारी | Basic knoledge Of Horoscope''इष्टकाल''अपनी कुंडली कैसे बनाये ? How Made Horoscope
भभोग
जन्मनक्षत्र के सम्पूर्ण मान को भभोग कहते है |
नियम =>
60 घटी में से .....................
संपूर्ण
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नोट-
1. भभोग हमेशा भयात से ....... होता है |
2. भभोग अधिकतम ....... घटी आ सकता है| (कुछ पंचांगों से भायत...... घटी तक भी आ जाता है |)
यदि आप इस विषय में और कुछ पूछना चाहते हो तो कमेंट कर के हमसे पूछ सकते है |
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क्षयनक्षत्र की स्थिति में
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क्षयनक्षत्र की स्थिति में
भयात - जब सूर्योदय के समय दूसरा नक्षत्र हो तथा जन्म के समय दूसरा नक्षत्र हो.............
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यदि भभोग 67 से ऊपर चला जाये जी तो क्या करेंगे।
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Deleteकृपया उसको 60 से भाग दें
यदि भभोग 67 से ऊपर चला जाये जी तो क्या करेंगे।
ReplyDeleteयदि भभोव 117घटी 30 पल हो तो क्या करे
ReplyDeleteMuze saptavargi kundali banana sikhana hai kripaya margadarshan kare
ReplyDelete10 sep 2020 3 2 pm ka bhyat bhbog Kya hogga
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